कोई मजबूरी

रोक सके ना कोई दूरी
होगी फिर कोई मजबूरी

राह ताके मेरी नज़रे
जाना था क्या तेरा ज़रूरी

उम्मीदें ना छोड़ी हमने
लागे मन जैसे कस्तूरी

प्यास मिलन की यह है कैसी
तेरी आस बनाये फितूरी

तन्हाई का आलम सारा
दिल पे जैसे चलाए छुरी

रोक सके ना कोई दूरी
होगी फिर कोई मजबूरी
-Regd. @SWA and Copyright © Karta

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