रोज़ रोज़ के तानों से मैं हुआ हूँ परेशान नहीं समज आता मुझको यह गणित और विज्ञान कई राज़ है दुनिया में उन्हें समजना चाहूँ मैं रहता कहाँ है रातभर सूरज समज न पाऊँ मैं कभी हमें चुभते नहीं यह कैसे घडी के कांटे कहाँ से आते है यह फूल स्मित सभी में … Continue reading दुनिया के राज़
दुनिया के राज़
